उत्तर प्रदेश में 22 साल बाद एक ऐसा अभियान शुरू हुआ है, जिसका असर हर वोटर के जीवन पर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान की शुरुआत की है — और इस बार ये सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक नागरिकी अधिकार की जांच है। इस बार बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) पूरे प्रदेश के 2.5 करोड़ से अधिक मतदाताओं के घर-घर जाएंगे, तीन बार दस्तक देंगे, और 2003 की पुरानी सूचियों को अपडेट करेंगे। ये कोई आम अभियान नहीं। ये वो वक्त है जब राज्य अपनी लोकतंत्र की नींव को फिर से जांच रहा है।
2003 की सूची से आज तक का अंतर
2003 में जब पिछली बार SIR चली थी, तब भारत में मोबाइल फोन भी बहुत कम थे। आज उत्तर प्रदेश में हर दूसरा व्यक्ति स्मार्टफोन रखता है। लेकिन मतदाता सूची अभी भी उसी पुराने डेटा पर टिकी है — जहां लाखों लोग अभी भी उसी पते पर रहते हैं, जहां वो 20 साल पहले रहते थे। कई नाम अभी भी सूची में हैं, जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है। कई नए नाम जोड़े जाने चाहिए, लेकिन नहीं जुड़े। ये सिर्फ एक डेटा त्रुटि नहीं। ये लोकतंत्र की विश्वसनीयता के लिए खतरा है।
बीएलओ की तीन बार दस्तक: एक नए नियम का जन्म
इस बार BLO को सिर्फ एक बार जाना नहीं है। उन्हें हर घर में तीन बार आना है — सुबह, दोपहर और शाम। इसका मकसद स्पष्ट है: जिन लोगों का काम दिन में होता है, वो शाम को घर आएंगे। जिनका घर अकेला है, वो सुबह नहीं खोलेंगे। इस बार बूथ स्तर पर लोगों को बाध्य करने की जगह, उनके साथ बात करने की कोशिश की जा रही है। एक BLO ने कहा, "हम लोग अब कागज नहीं, बल्कि इंसानों से बात कर रहे हैं।" इस बार उन्हें एक टैबलेट भी दिया गया है, जिस पर वो तुरंत अपडेट कर सकते हैं।
70% वोटरों को नहीं बुलाया जाएगा — क्यों?
यहां का सबसे आश्चर्यजनक आंकड़ा है: लगभग 70% मतदाताओं के नाम 2003 की सूची में अभी भी सही हैं। ये बात बहुत बड़ी है। मतलब, अगर आप 2003 में अपना नाम डाला था, और आज भी वहीं रह रहे हैं, तो आपको इस अभियान में शामिल होने की जरूरत नहीं है। आपका नाम अपडेट हो चुका है। लेकिन बाकी 30% के लिए ये एक जानलेवा मौका है — अगर आपका पता बदल गया है, अगर आपकी उम्र 18 हो गई है, अगर आपका आधार कार्ड अब नया है, तो आपको बीएलओ से संपर्क करना होगा। वरना, अगले चुनाव में आपका नाम गायब हो सकता है।
ऑनलाइन जांच: एक नया नागरिक अधिकार
अब आपको घूमने की जरूरत नहीं। sec.up.nic.in पर जाएं। अपना जिला चुनें। और अपनी मतदाता सूची डाउनलोड कर लें। ये पोर्टल 75 जिलों की मदर रोल सूची (.pdf) उपलब्ध कराता है — अलीगढ़ से लेकर मिर्जापुर तक, लखनऊ से लेकर शामली तक। अगर आप नगर निगम के अंतर्गत रहते हैं, तो VoterListULB.aspx पर जाएं। आपको बस अपना नाम ढूंढना है। और अगर गलती मिले, तो बीएलओ को फोन करें। ये एक अधिकार है — न कि एक अनुग्रह।
किन दस्तावेजों की जरूरत है?
अपडेट कराने के लिए आपको आधार कार्ड, बिजली बिल, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट जैसे दस्तावेज तैयार रखने होंगे। ये सब कागज नहीं, बल्कि आपकी पहचान हैं। एक गांव के बूथ अधिकारी ने बताया, "एक महिला ने हमें अपना राशन कार्ड दिखाया — उसका नाम अभी भी पति के नाम से लिखा था। उसने कहा, 'मैं अपना नाम अपने नाम से डालवाना चाहती हूं।' उस दिन हमने समझा कि ये सिर्फ एक सूची नहीं, बल्कि एक अधिकार की लड़ाई है।"
गोरखपुर, मिर्जापुर और सहारनपुर: आंकड़े बोल रहे हैं
गोरखपुर में 35.9 लाख मतदाता हैं — 19.4 लाख पुरुष, 16.5 लाख महिलाएं, और 280 अन्य श्रेणी। ये सिर्फ एक जिला है। मिर्जापुर में 395 से 399 तक के विधानसभा क्षेत्रों की सूची अब ऑनलाइन उपलब्ध है। सहारनपुर में 2025 की अर्हता तिथि के आधार पर नई सूची जारी की गई है। ये सब एक ही तार पर बंधे हैं — एक अधिक सटीक, अधिक न्यायसंगत चुनाव की ओर।
क्या ये बिहार के बाद शुरू हुआ?
हां। बिहार के चुनाव के बाद जब मतदाता सूची में गलतियों को लेकर बहस शुरू हुई, तो उत्तर प्रदेश ने बस इतना कहा: "हम गलतियों को नहीं छिपाएंगे। हम उन्हें ठीक करेंगे।" ये अभियान किसी चुनाव से पहले नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को बचाने के लिए शुरू किया गया है। ये वो जगह है जहां एक बूथ अधिकारी एक बूढ़ी महिला को उठाकर ले जाता है, ताकि वो अपना वोट डाल सके। ये वो जगह है जहां एक नए 18 वर्षीय लड़के का नाम पहली बार सूची में आता है।
अगला कदम: अगर आपका नाम गायब है?
अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आपको अभी बीएलओ से संपर्क करना होगा। ये अभियान 4 दिसंबर 2023 तक चलेगा। उसके बाद भी आप अपना नाम जोड़वा सकते हैं — लेकिन अगर आप इस अभियान के दौरान नहीं आएंगे, तो अगले चुनाव तक आपको लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है। लखनऊ का फोन नंबर 0522-2630130 है। ईमेल [email protected] है। ये नंबर आपके अधिकार का रास्ता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या मैं बिना दस्तावेज के मतदाता सूची अपडेट कर सकता हूं?
नहीं। आपको आधार कार्ड, बिजली बिल, राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे एक वैध पहचान दस्तावेज की आवश्यकता होगी। बीएलओ केवल डिजिटल डेटा को स्वीकार करते हैं, जो एक विश्वसनीय स्रोत से आता है। बिना दस्तावेज के कोई भी अपडेट नहीं होगा।
अगर मैं बीएलओ को नहीं मिल पाया, तो क्या करूं?
आप sec.up.nic.in पर जाकर अपना नाम चेक कर सकते हैं। अगर गलती मिले, तो आप अपने जिले के निर्वाचन कार्यालय में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। लखनऊ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को फोन करके भी सहायता ली जा सकती है। आपका अधिकार अभी भी मान्य है।
क्या ये अभियान अगले चुनाव से पहले खत्म हो जाएगा?
हां, यह अभियान 4 दिसंबर 2023 तक ही चलेगा। लेकिन इसके बाद भी आप अपने नाम को जोड़ने या सुधारने के लिए निर्वाचन आयोग के नियमित प्रक्रिया के तहत आवेदन कर सकते हैं। लेकिन इस विशेष अभियान के दौरान आपको सबसे कम परेशानी होगी।
क्या ये अभियान बिहार के बाद ही शुरू हुआ?
हां। बिहार चुनाव के बाद मतदाता सूची में गलतियों के मामले सामने आए, जिससे राज्य निर्वाचन आयोग को लगा कि अगर ये गलतियां उत्तर प्रदेश में भी हैं, तो ये लोकतंत्र के लिए खतरा है। इसलिए इस अभियान को शुरू किया गया — न कि चुनाव के लिए, बल्कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता के लिए।
महिलाएं और युवाओं के लिए इस अभियान का क्या असर होगा?
ये अभियान महिलाओं के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है। अगर आपका नाम पति के नाम से लिखा है, तो अब आप अपना नाम अपने नाम से डालवा सकती हैं। युवाओं के लिए ये अवसर है — अगर आप 18 हो गए हैं, तो आपका नाम पहली बार सूची में आएगा। ये आपकी पहली आवाज़ है।