शिमला में पार्किंग के दौरान कार खाई में गिरी, पूर्व सैनिक पटवारी राकेश कुमार की मौत

शिमला में पार्किंग के दौरान कार खाई में गिरी, पूर्व सैनिक पटवारी राकेश कुमार की मौत
अमरेंद्र भटनागर 24 नवंबर 2025 0 टिप्पणि

रविवार की रात, शिमला के लोअर ढांढा के एक घने आवासीय क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसा हो गया। राकेश कुमार उर्फ पिंकू (48), जो एक पूर्व सैनिक और सरकारी पटवारी थे, अपने घर के पास कार पार्क करते समय अचानक अपनी गाड़ी खो बैठे। गाड़ी बैक करते समय नियंत्रण से बाहर हो गई और एक गहरी खाई में लुढ़क गई। बुधवार को तक कोई बचाव नहीं हो पाया। वह अकेले थे। कोई और नहीं था।

एक ऐसा व्यक्ति जिसकी जिंदगी दो दुनियाओं में बंधी थी

राकेश कुमार बस एक आम पटवारी नहीं थे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश की सेवा सेना में की, और फिर अपने देश के भूमि रिकॉर्ड्स की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की सेवा की। उनका नाम जिला भूमि अधिकारियों की सूची में रिकॉर्ड है — हिमाचल प्रदेश राजस्व विभाग के अधीन बालूगंज थाना क्षेत्र के लोअर ढांढा में। उनका अपना घर भी वहीं था। एक छोटा सा घर, जहाँ वे अपनी पेंशन से जीवन बिताते थे। उनके बारे में जो भी लोग बोलते हैं, वे कहते हैं — वो शांत, लेकिन जिम्मेदार आदमी थे। एक ऐसा व्यक्ति जिसकी आँखों में अभी भी सेना की डिसिप्लिन थी।

उनकी मौत ने न सिर्फ परिवार को, बल्कि पूरे इलाके को झकझोर दिया। लोअर ढांढा के कई लोग बताते हैं कि वे अक्सर रात को चाय के साथ घर के बाहर बैठते थे। एक बार उन्होंने बताया था — “मैं अपनी गाड़ी इतनी धीरे-धीरे चलाता हूँ कि चिड़िया भी डर नहीं जाती।” लेकिन रविवार की रात, वो धीरे-धीरे नहीं चली।

क्या हुआ था? आधिकारिक रिपोर्ट्स के अनुसार

तीन प्रमुख हिंदी समाचार स्रोत — दैनिक जागरण, तरुण मित्र, और एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क — ने एक ही कहानी सुनाई। रात के लगभग 11:30 बजे, जब शहर सो रहा था, राकेश कुमार अपनी कार को अपने घर के सामने पार्क कर रहे थे। बैक करते समय गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया — या फिर उन्हें रास्ते का आकार गलत लगा। कोई भी जानता नहीं। लेकिन जो हुआ, वो हुआ।

गाड़ी अचानक नीचे की ओर लुढ़की। एक गहरी खाई में गिर गई। खाई की ऊंचाई लगभग 15-20 फीट है, जो शिमला के पहाड़ी इलाकों में आम बात है। वहाँ की सड़कें बहुत संकरी हैं। कई जगह पर बर्डज भी नहीं होते। रात में ये खतरा दोगुना हो जाता है।

पहाड़ी शहरों में पार्किंग का खतरा: एक भूल जो महंगी पड़ सकती है

शिमला में ऐसे हादसे अक्सर होते हैं। 2024 में ही, बर्नाक और कांगड़ा के इलाकों में दो ऐसे ही हादसे हुए थे — दोनों में वाहन पार्किंग के दौरान खाई में गिरे। एक मामले में एक बच्चा भी मारा गया था। लेकिन इस बार एक ऐसा व्यक्ति मारा गया जिसका नाम आम लोगों को भी पता था।

स्थानीय लोग कहते हैं — “हम यहाँ पार्क करने के लिए दो बार सोचते हैं। अगर गाड़ी बड़ी है, तो बाहर ही छोड़ देते हैं।” लेकिन राकेश कुमार शायद इतना सावधान नहीं थे। या फिर उन्हें लगा कि ये रास्ता उनके लिए परिचित है। वो यहाँ 15 साल से रह रहे थे।

परिवार और समुदाय: एक खाली घर, एक खाली दफ्तर

उनकी पत्नी अब तक बाहर नहीं आई। पड़ोसियों के अनुसार, वो एक दिन पहले ही अपने बेटे को फोन करके बताना चाहती थीं कि “अब तुम घर आ जाओ, पापा बहुत थक गए हैं।” लेकिन वो फोन नहीं लगा।

उनका दफ्तर अब खाली है। पटवारी का काम बहुत जिम्मेदार होता है — जमीन के रिकॉर्ड, कर की दरें, विवादों का निपटारा। अब इन सब कामों के लिए नया अधिकारी तलाशना पड़ेगा। और जब तक नया आता है, लोगों के रिकॉर्ड अटके रहेंगे।

अगला कदम: क्या होगा अब?

अगला कदम: क्या होगा अब?

बालूगंज पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। लेकिन स्थानीय स्रोतों के अनुसार, उन्होंने गाड़ी को खाई से निकाल लिया है और एक जांच शुरू कर दी है। फिलहाल, एक बात साफ है — ये दुर्घटना गलती का नतीजा थी, न कि जानबूझकर किया गया कोई काम।

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि शिमला जैसे शहरों में पार्किंग के लिए एक नया नियम बनाया जाना चाहिए। नियम ऐसा हो कि कोई भी गाड़ी खाई के किनारे न खड़ी हो सके। अगर ऐसा होता, तो शायद राकेश कुमार आज जिंदा होते।

क्यों ये खबर इतनी जरूरी है?

क्योंकि ये सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है। ये एक चेतावनी है। एक ऐसे देश के लिए जहाँ राजमार्गों पर लाखों लोग मरते हैं, वहीं घर के पास भी जान ले जाने वाला खतरा छिपा है। एक पूर्व सैनिक, जिसने देश के लिए जान देने की तैयारी की थी, वो अपने घर के सामने खाई में गिर गया।

उनके बेटे को अभी बस 24 साल हुए हैं। उसके पास अब एक और अपना नहीं है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पटवारी राकेश कुमार कौन थे?

राकेश कुमार उर्फ पिंकू (48) एक पूर्व भारतीय सेना सैनिक और हिमाचल प्रदेश राजस्व विभाग के सेवानिवृत्त पटवारी थे। वे बालूगंज थाना क्षेत्र के लोअर ढांढा में रहते थे और भूमि रिकॉर्ड, कर वसूली और जमीनी विवादों के निपटारे के लिए जिम्मेदार थे। उन्हें अपनी निष्ठा और शांत स्वभाव के लिए जाना जाता था।

दुर्घटना कब और कहाँ हुई?

दुर्घटना 23 नवंबर, 2025 की रात को हुई, जब राकेश कुमार अपने घर के सामने लोअर ढांढा, शिमला में कार पार्क कर रहे थे। गाड़ी बैक करते समय नियंत्रण खो बैठी और एक 15-20 फीट गहरी खाई में गिर गई। इलाका बालूगंज पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है।

इस तरह के हादसे शिमला में क्यों होते हैं?

शिमला की सड़कें बहुत संकरी और तिरछी हैं, खासकर आवासीय इलाकों में। कई जगहों पर बर्डज नहीं होते, और रात में दृश्यता कम हो जाती है। 2024 में भी कांगड़ा और बर्नाक में ऐसे ही दो हादसे हुए थे, जहाँ गाड़ियाँ पार्किंग के दौरान खाई में गिरीं।

क्या इस दुर्घटना की जांच हो रही है?

हां, बालूगंज पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है और गाड़ी को खाई से निकाल लिया है। जांच चल रही है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट जारी नहीं हुई है। इसे एक अनियंत्रित पार्किंग दुर्घटना माना जा रहा है, लेकिन गाड़ी के ब्रेक या ड्राइवर की स्थिति पर जांच जारी है।

पूर्व सैनिकों के लिए इस तरह की दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है?

स्थानीय प्रशासन को पूर्व सैनिकों के आवासों के आसपास सुरक्षा बर्डज और रोड लाइट्स लगाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऐसे इलाकों में पार्किंग के लिए नियम बनाए जाएं — जैसे कि गाड़ी को खाई के किनारे न खड़ी किया जाए। सेना के पूर्व सैनिकों को भी स्थानीय सड़क जोखिमों के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए।

इस घटना का राज्य स्तर पर क्या प्रभाव होगा?

यह घटना राज्य सरकार को पहाड़ी शहरों में आवासीय पार्किंग सुरक्षा के लिए नीतिगत सुधार की ओर धकेल सकती है। हिमाचल प्रदेश में अब तक ऐसे हादसों को ‘अनुदेशित दुर्घटना’ माना जाता रहा है, लेकिन राकेश कुमार की मौत ने एक नए सवाल उठाया है — क्या हम अपने घरों के पास भी अपने लोगों की जान बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते?