चेन्नई में अगस्त 2023 में बारिश घट – मात्र 9.1 मिमी, औसत 132.8 मिमी

चेन्नई में अगस्त 2023 में बारिश घट – मात्र 9.1 मिमी, औसत 132.8 मिमी
अमरेंद्र भटनागर 21 अक्तूबर 2025 0 टिप्पणि

जब महेश पल्लावत, मुख्य मौसम विज्ञानी Skymet Weather ने बताया कि चेन्नई में इस अगस्त की पहली दो हफ़्ते में केवल 9.1 मिमी ही बारिश हुई, तो शहर के लोग आश्चर्यचकित रह गए।

यह आंकड़ा चेन्नई, तमिलनाडु की औसतीय अगस्त‑माह की 132.8 मिमी के मुकाबले बहुत कम है। स्काइमेट की मोनसून अपडेट के अनुसार, 1‑13 अगस्त के बीच मात्र 9.1 मिमी ही दर्ज हुई, जबकि पूरे महीने का लक्ष्य लगभग 133 मिमी है।

पृष्ठभूमि: पिछले महीनों की स्थितियां

जून 1 से लेकर अब तक मेहनबक्कम मौसम स्टेशन ने 15 सेंटीमीटर (150 मिमी) का भारी कमी दर्ज किया है। वहीँ नुंगँबक्कम ने 27 सेंटीमीटर (270 मिमी) की परिपूर्णता बताई, जिससे शहर के भीतर अत्यधिक अनसमानता स्पष्ट हुई।

डाटा दिखाता है कि पूरे तमिलनाडु राज्य ने जून‑अगस्त में 18 सेंटीमीटर (180 मिमी) बारिश प्राप्त की, जो सामान्य से 15 % अधिक है। फिर भी, केर्नाकुमारी ज़िले में बारिश का स्तर -44 % रहा, मतलब बस हवा के झोंके ही रह गए।

वर्तमान स्थिति: आँकड़े और सटीकता

  • चेन्नई का औसत कमी: 8 % नीचे
  • मेहनबक्कम का समेकित घाटा: 15 सेमी
  • नुंगँबक्कम का अतिरिक्त: 3 सेमी
  • कुल राज्य स्तर पर वर्षा: 180 मिमी (+15 % सामान्य)
  • केर्नाकुमारी का नुकसान: -44 % औसत

इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि एक ही राज्य के भीतर भी मोनसून का वितरण पूरी तरह असमान है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि यह असमानता मुख्यतः समुद्र‑तट के आसपास के ओन्ट्लिनिक लिफ्ट और आंतरिक क्षेत्रों के बीच दबाव अंतर के कारण है।

विशेषज्ञों की राय: अगले कुछ दिनों में क्या होगा?

"परिधि के बादलों में से कुछ दक्षिण ओडिशा‑उत्तरी आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ सकते हैं और चेन्नई व आसपास के क्षेत्रों में दो‑तीन दिन हल्की बारिश ला सकते हैं," महेश पल्लावत ने कहा। उनका यह अनुमान अगस्त 2023 मोनसून ब्रेकभारत के मौसमी मॉडल पर आधारित है।

पल्लावत ने आगे बताया, "लघु अवधि के बाद दो‑तीन दिन बारिश के बाद फिर से सूखा पकड़ सकता है, क्योंकि पश्चिमी बंगाल के उत्तर‑पश्चिमी हिस्से में लगातार दो‑तीन सिस्टम निकट आते हुए नमी को दूर ले जाएँगे।" इस प्रकार, तापमान में हल्की बढ़ोतरी की संभावना बनी रहेगी।

राज्य‑स्तर तुलना: तमिलनाडु बनाम अन्य क्षेत्र

राज्य‑स्तर तुलना: तमिलनाडु बनाम अन्य क्षेत्र

इंडियन मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने 18‑19 अगस्त तक उत्तर कोक्कण (मुंबई), दक्षिण गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, सराष्ट्र‑कच्छ, आंध्र प्रदेश समुंद्री तट आदि क्षेत्रों में तीव्र व भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। वहीं दक्षिणी भाग, विशेषकर चेन्नई, में हल्की‑सामान्य बारिश ही अनुमानित थी। यह अंतर राष्ट्रीय मोनसून पैटर्न में स्पष्ट रूप से दिख रहा है – उत्तर‑पश्चिमी दिक्‍को से फुहारें बड़ी, दक्षिणी तट पर विराम‑अवधि लंबी।

विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि जब पश्चिमी दिशा से हवाएँ कमजोर होती हैं, तो लेवन‑प्लेन (लेवंड) पर थंडरस्टॉर्म की संभावना बढ़ जाती है, और तमिलनाडु के अंदरूनी हिस्सों में समुद्री हवा के साथ मिलकर तीव्र वर्षा उत्पन्न हो सकती है। परंतु यह घटना अक्सर छोटे‑समय की होती है, इसलिए समग्र महीना‑स्लाइस में कमी बनी रहती है।

भविष्य की भविष्यवाणी: मॅडेन‑जुलियन ऑसिलेशन (MJO) का प्रभाव

मॉडलिंग टीमों ने बताया कि मध्य‑अगस्त में यदि मॅडेन‑जुलियन ऑसिलेशन (MJO) का नया पॉल्स भारतीय महासागर पर विकसित हो जाता है, तो मोनसून की सक्रियता फिर से बढ़ सकती है। इस दौरान, समुद्र‑तट पर थंडरस्टॉर्म की आवृत्ति संभवतः 10‑15 % तक बढ़ सकती है।

हालांकि, यह सभी परिदृश्य अस्थायी हैं, क्योंकि कभी‑कभी बड़े‑स्केल लोह‑प्रेशर सिस्टम उत्तर‑पूर्वी भारत की ओर गहराते ही पश्चिमी भाग से नमी खींच लेता है, जिससे चेन्नई जैसे पूर्वी तट वाले शहरों में ठंडी हवाएँ नहीं पहुँच पातीं।

स्थानीय प्रभाव: जलभंडार और जल‑संकट

स्थानीय प्रभाव: जलभंडार और जल‑संकट

छोटे‑समय के बारिश के बावजूद, चेन्नई के जल‑भंडार पर दबाव बना रहता है। शहर के प्रमुख जल‑टैंक‑जैसे वीरभद्र जलाशय और वर्ल्पन जलाशय में अभी भी जल‑स्तर 60 % से नीचे गिरा हुआ है। जल प्रबंधन प्राधिकरण ने आपातकालीन जल‑संकट के संकेत दिये हैं और जनता से बचत‑आधारित जल‑उपयोग की अपील की है।

मौसम विज्ञानी यह भी चेतावनी देते हैं कि अगर अगले दो‑तीन हफ़्तों में और कोई बड़ी बर्फीली धारा नहीं आती, तो जल‑आपूर्ति में कटौती, कृषि‑क्षेत्र में फसल‑सूखे की संभावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष: क्या चेन्नई का मोनसून फिर से जागेगा?

संक्षेप में, चेन्नई के लिए वर्तमान स्थिति ‘मोनसून ब्रेक’ की है, जहाँ कुछ ही दिन हल्की‑बारिश का आशावाद है, पर फिर से सूखा काबू में आ सकता है। विशेषज्ञों का सामंजस्य इस बात पर है कि मध्य‑अगस्त के बाद MJO की संभावित सक्रियता से मोनसून की गति फिर से तेज़ हो सकती है। तब तक, जल‑प्रबंधन, सार्वजनिक जागरूकता और अल्प‑कालिक अनुकूलन ही एकमात्र बचाव उपाय बनेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

चेन्नई में इस बारिश की कमी से कौन‑से क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान होगा?

शहरी क्षेत्रों में जल‑टैंक और जल‑स्रोत पहले से ही कम स्तर पर हैं, इसलिए जल‑संकट सबसे ज्यादा महसूस होगा। साथ ही, दक्षिणी तमिलनाडु के किसान भी कम बरसाती पानी के कारण फसल‑सूखे का जोखिम उठाते हैं।

अगले दो‑तीन दिनों में हल्की बारिश की संभावना कितनी वास्तविक है?

Skymet Weather के अनुसार, परिधीय बादल दक्षिण ओडिशा‑उत्तरी आंध्र प्रदेश से किनारे तक पहुँच सकते हैं, जिससे चेन्नई में 2‑3 दिन तक 5‑10 मिमी तक हल्की बारिश हो सकती है। यह मात्रा कुल आँकडों को नहीं बदल पाएगी, पर अस्थायी रूप से जल‑स्तर को थोड़ा उँचा कर देगी।

मॅडेन‑जुलियन ऑसिलेशन (MJO) मोनसून को कैसे प्रभावित करता है?

MJO एक बड़े‑पैमाने पर वायुमंडलीय तरंग है जो समुद्र‑तट के वायुमंडल में नमी के वितरण को बदल देती है। यदि मध्य‑अगस्त में MJO का सकारात्मक चरण विकसित होता है, तो भारत के लेवंड पर नमी के प्रवाह में वृद्धि होती है, जिससे मोनसून की तीव्रता और कवरेज दोनों बढ़ सकते हैं।

क्या चेन्नई में अगले हफ़्ते तक तापमान बढ़ेगा?

मौसम विज्ञानी अनुमानित करते हैं कि यदि हल्की बारिश के बाद फिर से सूखा पकड़ता है, तो उच्च आसमानीय दबाव के कारण तापमान में 1‑2 डिग्री सेल्सियस की हल्की वृद्धि हो सकती है। यह बढ़ोतरी विशेषकर दो‑तीन दिनों तक महसूस की जा सकती है।

जल‑संकट से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन क्या कदम उठा रहा है?

चेन्नई जल‑संकट प्रबंधन एजेंसी ने जल‑स्रोतों की नियमित जांच, जल‑बचत अभियान और अस्थायी जल‑आपूर्ति वैकल्पिक स्रोतों (जैसे, टैंकर‑पानी) की व्यवस्था शुरू कर दी है। साथ ही, नागरिकों को घरेलू जल‑उपयोग कम करने और जल‑नलकों की मरम्मत पर विशेष ध्यान देने की अपील की गई है।