केंद्रीय कैबिनेट ने 8वां केंद्रीय वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को मंजूरी दे दी — एक ऐसा फैसला जिसका इंतजार कर्मचारियों ने सालों किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि केंद्र सरकार के 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों को जल्द ही बड़ी सैलरी बढ़ोतरी की सौगात मिलने वाली है। आयोग की अध्यक्षता रंजन प्रकाश देसाई, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश, करेंगी — एक ऐसी चुनाव जिसने न्यायपालिका की निष्पक्षता को आयोग के विश्वसनीयता में नया मोड़ दिया।
18 महीने में फैसला, 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती है नई वेतन संरचना
आयोग को अपनी अंतिम सिफारिशें तैयार करने के लिए 18 महीने का समय दिया गया है — यानी अगली बार जब यह रिपोर्ट सामने आएगी, तो वह अप्रैल 2027 तक होगी। लेकिन सरकार का इरादा स्पष्ट है: अगर सिफारिशें समय से पहले आ जाएं, तो उन्हें 1 जनवरी 2026 से पीछे की ओर लागू किया जा सकता है। यह बात वैष्णव ने स्पष्ट की — यह एक ऐसा संकेत है जो कर्मचारियों के लिए न सिर्फ आर्थिक राहत है, बल्कि भरोसे का भी संकेत है।
सैलरी में 13% से 34% तक की बढ़ोतरी की संभावना
विश्लेषकों का मानना है कि फिटमेंट फैक्टर 1.83 से बढ़कर 2.86 तक पहुँच सकता है — जिसका मतलब है कि बुनियादी वेतन में 13% से 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह सिर्फ एक अनुमान नहीं, बल्कि 7वें वेतन आयोग के बाद की गतिविधियों के आधार पर किया गया विश्लेषण है। जब 7वें आयोग ने 2016 में सिफारिशें दीं, तो फिटमेंट फैक्टर 2.57 था और वेतन में 23.5% की बढ़ोतरी हुई थी। इस बार इस आंकड़े में और भी बढ़ोतरी की संभावना है — खासकर जब आर्थिक विकास की दर अच्छी है और अनुमानित मुद्रास्फीति नियंत्रित है।
भत्तों का बड़ा संक्रमण: डीए का अंत, भत्तों का संक्षेपण
यहाँ कुछ नया है — आयोग को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वह डीए (Dearness Allowance) के साथ-साथ अन्य छोटे-छोटे भत्तों — जैसे ट्रैवल अलाउंस, स्पेशल ड्यूटी अलाउंस, स्मॉल रीजनल अलाउंस — को एकीकृत या समाप्त करने की संभावना पर विचार करे। यह बहुत बड़ा बदलाव है। आज एक कर्मचारी के पास 15-20 भत्ते होते हैं, जिनका गणना करना और अदायगी करना बेहद जटिल है। अगर इन्हें मर्ज करके बुनियादी वेतन में शामिल कर दिया जाए, तो वेतन संरचना सरल हो जाएगी, और बेहतर नियंत्रण होगा।
राज्य सरकारों के लिए भी यह बड़ा असर होगा
यह फैसला सिर्फ केंद्र के कर्मचारियों के लिए नहीं है। अधिकांश राज्य सरकारें — चाहे वो उत्तर प्रदेश हो या महाराष्ट्र — केंद्र की वेतन सिफारिशों को अपनाती हैं। अगर केंद्र सरकार ने वेतन बढ़ा दिया, तो राज्यों के लिए इसे नजरअंदाज करना मुश्किल हो जाएगा। इसका मतलब है कि करीब 2.5 करोड़ राज्य सरकारी कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिल सकता है। इस बात की पुष्टि वित्तीय विश्लेषक डॉ. नीलेश कुमार ने की: "जब केंद्र चलता है, तो राज्य उसके पीछे भागते हैं। यह एक राष्ट्रीय वेतन नीति की शुरुआत है।"
क्यों रंजन प्रकाश देसाई? न्याय की निष्पक्षता का संकेत
आयोग की अध्यक्षता एक सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश को देना एक बहुत ही सावधानी से लिया गया फैसला है। इससे दो बातें सामने आती हैं: पहली, यह आयोग राजनीतिक दबाव से बाहर होगा। दूसरी, यह न्यायपालिका की निष्पक्षता का एक जीवंत प्रतीक है। देसाई जी का अनुभव न केवल विधि का है, बल्कि राजकोषीय नीतियों के निर्माण में भी है। उनके नेतृत्व में आयोग को आर्थिक तर्क, न्याय और व्यवहार्यता के बीच संतुलन बनाना होगा।
पेंशन बोझ और राजकोषीय अनुशासन: दो चुनौतियाँ
लेकिन यह फैसला बिना बाधा का नहीं है। आयोग को यह भी सोचना होगा कि अगर वेतन बढ़ाए जाते हैं, तो पेंशन भी बढ़ेगी — और यह भविष्य के लिए एक भारी बोझ बन सकता है। भारत में अब तक 1.2 करोड़ पेंशनभोगी हैं, और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। आयोग को यह भी देखना होगा कि बिना योगदान वाली पेंशन योजनाएँ — जैसे प्रारंभिक सेवाओं में काम करने वाले लोगों के लिए — कैसे अधिक स्थायी बनाई जा सकती हैं। राजकोषीय अनुशासन के बारे में भी चिंता है: क्या यह बढ़ोतरी केंद्रीय बजट को बर्बाद कर देगी?
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया: छठ का तोहफा, सालों की मांग पूरी
केंद्रीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने इसे "छठ का तोहफा" बताया। उन्होंने कहा, "हमारी मांग सालों से थी। 7वें आयोग के बाद आठवां आयोग नहीं बन रहा था — यह निराशा थी। आज यह निराशा दूर हुई।" भारतीय सिविल सेवा संघ के महासचिव डॉ. अमित खन्ना ने कहा, "यह सिर्फ वेतन बढ़ोतरी नहीं, बल्कि एक संदेश है — सरकार कर्मचारियों को भूल रही है।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
8वां वेतन आयोग की सिफारिशें कब लागू होंगी?
आयोग को 18 महीने का समय दिया गया है, इसलिए अंतिम रिपोर्ट अप्रैल 2027 तक आएगी। लेकिन सरकार ने संकेत दिया है कि अगर रिपोर्ट जल्दी आ जाए, तो इसे पीछे की ओर से 1 जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है। यह विशेष अनुमति केंद्र सरकार के लिए एक नया प्रायोगिक तरीका है।
डीए क्यों खत्म किया जा रहा है?
डीए अब लगभग हर महीने बदलता है — यह एक अस्थायी व्यवस्था बन गई है। आयोग का उद्देश्य है कि इसे बुनियादी वेतन में एकीकृत करके वेतन संरचना को स्थिर बनाया जाए। इससे वेतन निर्धारण आसान होगा, और कर्मचारियों को हर महीने अलग-अलग रकम नहीं मिलेगी।
राज्य सरकारों के कर्मचारियों को क्या फायदा होगा?
अधिकांश राज्य अपनी वेतन नीति केंद्र के अनुसार बनाते हैं। अगर केंद्र ने वेतन में 20% बढ़ोतरी की सिफारिश की, तो राज्य भी इसे 15-18% के स्तर पर अपना लेंगे। इससे लगभग 2.5 करोड़ राज्य कर्मचारियों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा।
क्या यह बढ़ोतरी निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी छूएगी?
नहीं, यह सीधे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को नहीं छूएगी। लेकिन जब केंद्र के वेतन स्तर बढ़ेंगे, तो निजी कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों के लिए तुलनात्मक वेतन देने के लिए मजबूर होंगी। यह एक अप्रत्यक्ष प्रभाव होगा — जैसे पानी की लहर बाहर फैलती है।
क्या यह आयोग पेंशन भी बढ़ाएगा?
हाँ, पेंशन भी इसी आयोग की सिफारिश के तहत देखी जाएगी। लेकिन यह बढ़ोतरी वेतन बढ़ोतरी के समान नहीं होगी। आयोग यह भी देखेगा कि पेंशन को कैसे अधिक स्थायी और न्यायसंगत बनाया जा सके — खासकर जब आयु बढ़ रही है और जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है।
क्या इस बार नए पदों के लिए वेतन संरचना बदलेगी?
हाँ, आयोग नए पदों — जैसे डिजिटल अधिकारी, डेटा विश्लेषक, या आईटी सुरक्षा विशेषज्ञ — के लिए भी एक नई वेतन संरचना सुझाएगा। यह पहली बार होगा जब केंद्र सरकार निजी क्षेत्र के आधुनिक पदों के साथ अपने वेतन स्तर को समायोजित करेगी।